V.S Awasthi

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तूफानों से लड़ना सीखो

प्रतियोगिता हेतु रचना
तूफानों से लड़ना सीखो 
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तूफानों से लड़ना सीखो
कदम बढ़ा कर चलना सीखो 
मन्जिल को मुस्किल ना समझो
अपने बल,संयम को समझो
मन्जिल आसान हुआ करती
आत्मबल से वो है डरती 
मन्जिल को पाने के खातिर
हिम्मत कुर्बान हुआ करती

जो कठिन परिश्रम करते हैं
मन्जिल उनको मिल जाती है
जो शुरू से नरबस होते हैं
तो मन्जिल भी दूर हो जाती है
बाधाओं से मत डरना सीखो
तूफानों से लड़ना सीखो 

ईश्वर पर दृढ़ विश्वास करो
सत्कर्म के पथ पर बढ़े चलो
फिर मन्जिल भी तुम्हें पुकारेगी
आओ और आलिंगन कर लो
पर्वतों से भी टकराना सीखो
तूफानों से लड़ना सीखो 

मन्जिल पाना कोई कठिन नहीं
जो हिम्मत करता वो पाता है
जो बीच डगर में थक हारा
वो वहीं खड़ा रह जाता है
कांटों पर भी तुम चलना सीखो
तूफानों से लड़ना सीखो 

देता है दोष जो किस्मत को
और भाग्य को कोसे जाता है
सार्थक श्रम उसने किया नहीं
वो फिर पीछे पछताता है
ठोकर खा खाकर उठना सीखो
तूफानों से लड़ना सीखो 

पथिक भी मन्जिल पाने को
नित सतत परिश्रम करता है
ईश्वर पर दृढ़ विश्वास किया
फिर मन्जिल पाकर ही रुकता है
तूफानों से मत डरना सीखो
तूफानों से लड़ना सीखो 

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर

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7 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

13-Oct-2023 08:03 PM

Very nice

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Arti khamborkar

13-Oct-2023 05:53 AM

बेहद खूब

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Abhinav ji

13-Oct-2023 08:56 AM

Nice 👍

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